बनते है ,फिर बिगड़े भी
और फिर टूटते है ,
लेकिन यही कहलाते
रिश्ते है।
बातों पर सोचना मिलकर
एक रोये तो
उसे रोकना मिलकर ,
यदि हो कोई आपदा
या विपदा ,
लड़ना उसे हराकर ,
अपनो जख्मों पर
रिश्तों का मरहम लगाना
यही कहलाते
रिश्ते थे।
समय का ऐसा फेर आया ,
सभी एक ही
सूत्र में समाया,
बच्चों पर तो
प्रेम आता है,
पर अब निगाहे
अपना और पराया दर्शाता है।
दुःख में अगर न हो
अपनो का साथ,
तो सुख क्या
दरवाजा खट -खटाएगा ,
मौसमों के इस फेर में
क्या फिर से
वही अपना सा
बहार आएगा?
बनते है ,फिर बिगड़े भी
और फिर टूटते है ,
लेकिन यही कहलाते
रिश्ते है।
बातों पर सोचना मिलकर
एक रोये तो
उसे रोकना मिलकर ,
यदि हो कोई आपदा
या विपदा ,
लड़ना उसे हराकर ,
अपनो जख्मों पर
रिश्तों का मरहम लगाना
यही कहलाते
रिश्ते थे।
समय का ऐसा फेर आया ,
सभी एक ही
सूत्र में समाया,
बच्चों पर तो
प्रेम आता है,
पर अब निगाहे
अपना और पराया दर्शाता है।
दुःख में अगर न हो
अपनो का साथ,
तो सुख क्या
दरवाजा खट -खटाएगा ,
मौसमों के इस फेर में
क्या फिर से
वही अपना सा
बहार आएगा?
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